पिता सूर्य के समान होते है , हर रोज़ निकलते है काम पर, अनगिनत लोगो को अपने प्रकाश
से रोशन करते है , छुट्ठी की दरखास्त भी नहीं लगाते अपितु वो तो सुबह से रात में सोने तक ,
अपने लिए नहीं बल्कि हमारे लिए जीते है , उनकी खुद की कोई भी महत्वकांशा , कामना , या
इच्छा नहीं है बस एक ही उद्देश्य है उनके जीवन का , वो है ( हमारी ख़ुशी ) , माँ का ध्यान रखना ,
हमसे कब प्रेम से और कब सख्त होकर बात करनी है ये ध्यान रखना , प्रोफेशनल और परसनल
जीवन में एक संतुलन बनाने का ध्यान रखना , अपने सभी कर्तव्यों का निर्वाहन करते हुए जीवन
में अपनों को खुशियाँ देने का ध्यान रखना , ये सब एक समय पर सिर्फ पिता ही कर सकते है ।
आज के दौर के युवा ( मुझे मिलाकर ) इस बात से बिलकुल अनजान है की उनके पिता ने जीवन में
कितने संघर्ष किये है , कितनी रातें अँधेरे में काटी है , कितने दिन भूखे प्यासे रहे है , कितनी
कठनाईयों का सामना किया है , हम इस बात से बिलकुल बेखबर है बल्कि हम सब तो भौतिकवाद
की इस दुनिया में इतने व्यस्त हो गए है की अगर पिता एक कमरे में हो तो हम दूसरे कमरे में जाकर
मोबाइल चलाने लगते है , ये हँसने का नहीं बल्कि गौर करने का विषय है , दिन भर में पाँच मिनट
निकाल कर हम पिता के साथ नहीं बैठ सकते , ये बीमारी तेज़ी से बड़ रही है , हम तो फिर भी इससे
बच सकते है लेकिन आने वाली पीढ़ी को अगर इस बीमारी ने जकड़ लिया तो इससे बाहर निकलना
नामुमकिन होगा ।
मेरा आपसे निवेदन है की हर रोज़ पिता के लिए कुछ समय निकाले, हम उनके साथ कुछ साल और है, उनके पुरे जीवन का एहसान तो हम नहीं उतार सकते लेकिन हाँ उन्हें खुश ज़रूर कर सकते है उनसे बात करके , ये कुछ बातें है जो आपको मदद करेगी अपने पिता से संवाद शुरू करने में ,
1- उनके जीवन के संघर्षो के बारे में पूछे और कहे आप उनसे प्रेरणा लेना चाहते है ।
2- हर रात्रि सोने से पहले उनके पैर दबाये और उस समय उनके दिन के बारे में पूछे कैसा रहा ।
3- अगर आपके पिता (cool) है तो आप उनसे उनकी जवानी के किस्सों के बारे में भी बात कर सकते है , लेकिन हाँ ध्यान रहे ( cool ) हो तो ही ।
4- उनके जन्मदिन पर उनके लिए गाना गाये , या कोई कविता लिखें और पढ़े ।
आप इन छोटी चीज़ो से देखेंगे की उनके चेहरे पर चमक आ गयी है और दिन भर की थकान को भूल कर वो मुस्कुरा रहे है , और अगर आप दूसरे शहर में रहते है तो हर दिन की शुरुआत पिता को फ़ोन करके उनसे आशीर्वाद लेकर करे ।
अंत में बस मैं ये कहना चाहता हुँ की पिता की सेवा करने से बड़ा इस धरती पर कोई पुण्य नहीं ।
धन्यवाद ।
- तनोज दाधीच
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