Tuesday, 23 August 2016

कृष्णा

देवकी और वासुदेव के आठवे पुत्र होकर रोहिणी नक्षत्र में जन्मे इस बालक को देखकर कौन कह सकता था की वो इतना प्रभावशाली व्यक्तिव वाला होगा की युगों युगों तक हर लोक में उसी के चर्चे होंगे । कृष्णा सिर्फ एक नाम ,एक भगवान् , एक चरित्र , एक कहानी , एक राजा , एक प्रेमी , एक गुरु नही बल्कि पूरा ब्रह्माण्ड है। 
उनके बारे में लिखना बहुत मुश्किल  है। 
उनकी कुछ बाते जो मुझे बहुत अच्छी लगती है वो है ,

1 - कृष्णा समझने नहीं , अनुभव के लिए है ,कृष्णा को समझना नामुमकिन है , एक बार तो वे अर्जुन से लड़ लिए थे जिसे सच मान कर शिव जी उन्हें रोकने आये तो उन्होंने बताया की ये भी अर्जुन की एक परीक्षा है। 

2 - ये भी उनकी ही लीला है की महाभारत और गीता जैसे शास्त्रों में एक बार भी राधा जी का नाम नहीं आया लेकिन कृष्णा के साथ 
हमेशा उनका नाम लिया जाता है , भारत के अमूमन गावँ और कुछ शहरो में अब तक लोग हेल्लो या नमस्ते की जगह "राधे कृष्णा" कहते है। 

3 - जब संदीपनी गुरु ने अपने शिष्य कृष्णा से गुरु दक्षिणा में उनके पुत्र को ज़िंदा करने का कहा , तो कृष्णा ने वो भी कर दिया। 


कृष्णा ने जब बचपन जिया तो ऐसा की आज भी छोटे बच्चे को हम कान्हा कहकर बुलाते है , जवानी जी तो ऐसी की जब किसी प्रेम में पड़े प्रेमी को देखते है तो कहते है बड़ा कन्हिया बना फिरता है , प्रेम किया तो ऐसा की 16108 गोपियों में से किसी एक को भी अधूरा महसूस नहीं हुआ , युद्ध किया ( करवाया ) तो ऐसा 5 लोगो को अनंत सेना के सामने जीता दिया और ज्ञान दिया तो गीता जैसा जो आज भी और कालकालान्तार तक हर मनुष्य की हर परिस्थिति में साथ देने में समर्थ है। 

कृष्णा से इस पृथ्वी के हर मनुष्य का अपना एक रिश्ता है , कोई उन्हें अपना गुरु मानता  है , कोई मित्र , कोई पिता ,कोई ईश्वर तो कुछ महिलाएँ तो रक्षाबंधन पे लडू गोपाल कहकर उन्हें राखी भी बाँधती  है , लेकिन एक बात हर मनुष्य में समान है वो ये की हम सब में एक समानमात्रा में कृष्णा स्थित है जो उस मात्रा को बढ़ाएगा वो सफलता पायेगा और सिर्फ भौतिकवाद में ही नहीं आध्यात्मिक जीवन में भी आगे बढेगा । कल जन्माष्टमी है , कृष्णा का जन्मदिन आइये हम इस दिन संकल्प करे की प्रतिदिन कोई एक कृत्य ऐसा करेंगे जो ये प्रमाण दे की हमारे अंदर कृष्णा स्थित है। 

आप सभी को जन्माष्टमी की शुभकामनाये। 

 श्री कृष्णा गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा । 

धन्यवाद 
तनोज दाधीच 

परिशिष्ट भाग / पोस्टस्क्रिप्ट - ये ऊपर की बाते तो ठीक है लेक़ीन अगर सिर्फ कोई एक मनुष्य 16108 गोपियों को अकेला संभाल 
सकता है तो उसे मेरा तो नमन है :) 

Friday, 3 June 2016

" स्थिरता "

" स्थिरता "

स्थिर कहना जितना आसान है , होना उतना ही मुश्किल। 
दिन भर में सोने के अलावा आप कभी भी स्थिर नहीं होते , एक जगह नहीं रुकते ,
दिनचर्या की भागदौड़ हो या सारा काम करके घर लौटने के बाद का समय आप सोचते है की आप एक जगह 
बैठे है कुछ नहीं कर रहे , लेकिन आप निरन्तर कुछ ना कुछ कर रहे होते है , कभी गौर करके देखिएगा। 

मैं दिमाग ,  मन , विचार उनकी तो बात ही नहीं कर रहा हूँ , वो तो ( बड़ी ) बात है ,
मैं तो आपके शरीर की बात कर रहा हूँ जिसके बारे में आपको मुगालता है की उसे आप चला रहे है ,
रात में भी  आपको नींद नहीं आती , आप हाथ-पैर हिलाते रहते है , करवट बदलते रहते है , लेकिन स्थिर 
नहीं होते , वो तो अचानक कोई नींद की झपकी आपसे आपका निरन्तर हिलना छीन के आपको 
तौफे में स्थिरता दे देती है जिसकी बदौलत आप अगले दिन ऊर्जा से काम करते है ,
अब ज़रा सोचिये नींद में बेहोशी की हालत की स्थिरता आपको इतनी ऊर्जा देती है तो 
होश में कभी आप स्थिर हो गए तो केसा अनुभव होगा। 

एक बार शरीर को स्थिर करने की कोशीश करना कभी ,एकदम स्थिर  , हल्का सा भी ना हिले , और फिर रुकना 
देखना कितनी देर आपका आत्मबल आपको रोक सकता है हिलने से , आप चौंक जायेंगे की कुछ ही सेकंड 
आप रुक पाये , जिस दिन 1  मिनट रुक जायेंगे तो आप कुछ अलग अनुभव करेंगे , इसी तरह समय 
बढ़ाए और शरीर को स्थिर करने की कोशिश करे , ये कृत्य आपके जीवन को ऊर्जा से भर देगा और 
आप अध्भुत महसूस करेंगे । 

©
- तनोज दाधीच  

Thursday, 7 April 2016

" प्रकर्ति का उधार "

क्या आप किसी दुकान पे जाके कोई चीज़ लेते है तो मुफ्त में मिल जाती है ?
क्या मुफ्त में आप किसी के लिए नौकरी करते है ?
मेरा मानना है आपका उत्तर होगा , नहीं , तो जो चीज़ आपको मुफ्त में मिल रही है प्रकर्ति द्वारा उसका आपको 
कुछ मोल नहीं देना चाहिए ?
आपके दिन की शुरुआत जल से होती है , जो की मुफ्त में मिल रहा , आपको लगता है जितना जल आप प्रयोग करते है उतना  
आप बिल दे रहे , लेकिन क्या जल उत्पन्न हो रहा उस पैसे से , या जल बच रहा उस पैसे से , दिन भर सांस लेते है पेड़ों की बदौलत , उसे लौटना तो 
भूल ही जाइए बस में नहीं आपके , जो चाय आप पीते है वो दूध से बनी है , आपको लगता है 500  , 1000 रुपए का बिल दूध का दे दिया बात खत्म , 
क्या वो 1000  गाय तक पहुंच रहे हे किसी माध्यम से , या उसके पालन में 1000  पुरे रूपये लग रहे ?
किसी दिन सूरज कह दे मैं आज नहीं निकलूंगा , या पेड़ कह दे आज ऑक्सीजन नहीं देंगे , 
तो आप कल्पना करे क्या हो जायेगा , जो चीज़ जिस आसानी से मिल रही है उसके प्रति कृतज्ञ होकर अपना कर्तव्य निभाए और उसे 
लौटाए जो उसका हक़ है 
तो आप कहेंगे क्या करे  ?
आप जितना कर सकते है उतना करे , वो भी काफी नहीं होगा लेकिन करे ,
भाव महत्वपूर्ण है , जब आप गाय को देखे , या आसमान को , या जल को , या पेड़ को , या सांस तक भी ले तो याद रखे 
ये सब उधार चल रहा है जो आपको किसी ना किसी युग के किसी ना किसी जन्म में प्रकर्ति को लौटना है , 
और नहीं लौटाया , तो वो खुद ले लेगी ,

अंत में  मेरा आपसे आग्रह है की एक दिन ज़मीन की जगह हवा में चले , और साँस ना ले , और दूध से बनी कोई चीज़ ना खाये या पिए , 
और भोजन ना करे ,और जल न पिए ,  ऐसा अगर आप एक दिन कर दे तो आपको मेरा प्रणाम। 
©
- तनोज दाधीच