Friday, 13 November 2015

हम खो जाये, हम खो जाए .......

ज़ुल्फ़ें हैं  या काली घटा ,
कौन बतलाये ,कौन समझाए , 
उड़के  ये जब हमपे आये ,
हम खो जाये, हम खो जाए ,
भौहें है या आँखों का ताज , 
कौन बतलाये ,कौन समझाए ,
इतरा के जब ये बलखाये ,
हम खो जाये, हम खो जाए ,
ऑंखें है या विशाल महासागर ,
कौन बतलाये ,कौन समझाए ,
डूबने के लिए जब इनमे जाए ,
हम खो जाये, हम खो जाए ,
रूखसार (गाल) है या कपास ( रुई ) कोई ,
कौन बतलाये ,कौन समझाए ,
छूते ही बस ये हो जाए ,
हम खो जाये, हम खो जाए ,
होठ है या है दो गुलाबी पंख ,
कौन बतलाये ,कौन समझाए ,
देख के इन्हें दिल बेहक जाये , 
हम खो जाये, हम खो जाए ,
हाथ इतने गोरे की क्या बताये , 
कौन बतलाये ,कौन समझाए ,
दूध का रंग फीका पड़ जाए ,
हम खो जाये, हम खो जाए ,
पैर इतने अनमोल है आपके , 
कौन बतलाये ,कौन समझाए ,
उनके नीचे मखमल हम लगाये ,
हम खो जाये, हम खो जाए ,
बदन है या ईश्वर का चमत्कार कोई ,
कौन बतलाये ,कौन समझाए ,
देख के ख़ूबसूरती आपकी ,
हम खो जाये, हम खो जाए ,
सोचो आपको और ग़ज़ल हो जाये 
कुछ पल में ये कमाल हो जाए ,
आपसे लेकिन ये राज़ छुपाये  ,
'तनोज' खो जाये , 'तनोज' खो जाये। 

- तनोज दाधीच 

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