Sunday, 6 September 2015

भगवान

भगवान् क्या हे 
कुछ कहते हे ईशवर हे कुछ अल्लाह कुछ जीसस तो कोई कुछ और 
कोई कहता हे मंदिर में हे कोई मस्ज़िद में कोई कहा तो कोई कहा 
कोई तो कहता हे आसमान में हे कोई धरा में बताता हे 
कोई कहता हे हर चीज़ में हे

कोई कहता हे हम सब में हे 
महावीर ने कहा परमात्मा नहीं हे तो

बुद्धा ने कहा परमात्मा तो नहीं हे पर आत्मा भी नहीं हे

भगवान् क्या हे


जब किसी कि जान बचती हे तो वो कहता हे भगवान् बचा लिया 
जब कोई प्यारा हादसे का शिकार होता हे तो कहते हे भगवान् तूने क्या

किया 
क्या भगवान् वही हे जो सुनामी के रूप में लोगो कि जाने लेता हे
क्या भगवान् वही हे जो बारिश के रूप में किसानो कि मदद करता हे 
क्या भगवान् बहुत सारे हे 

या भगवान् एक ही हे
या भगवान् हे ही नहीं
तो कौन हे जो इस पुरे ब्रह्माण्ड को चला रहा हे 
भगवान् क्या हे 
हिन्दू होने के नाते मुझे ये बताया गया कि ३३ करोड़ देवी देवता हे 
अब में किसी से मिला नहीं पर मेने मान लिया
जो भगवान् करते थे सही हे
जो इंसान करे उसे तोला जाता हे इन्साफ के तराज़ू में भले वो २ शादिया

हो या युद्ध 
और भी बाते बतायी गयी जिन्हे मान लेना मेरा काम था
भगवान् को किसने पाया केसे पाया ये कौन बताएगा
क्या शास्त्र पड़ने से ईश्वर मिलेगा
क्या भजन करने से मिलेगा
और मिलके करना क्या हे इंसान बने हे तो इंसान से ही क्यों न मिले उसी प्यार से जिस प्यार से ईश्वर से मिलने कि चाह हे भगवान् क्या हे अंत में क्या लिखू क्या भगवान् वो नहीं जो दुसरो कि मदद करता हे क्या भगवान् वो नहीं जो अपना खाना भी गरीबो में बाँट देता हे क्या भगवान् होने के लिए शक्तियो कि ज़रूरत हे या इंसान होने के लिए इंसानियत कि ये सवाल घूमता रहता हे खेर भगवान् सबका भला करे।

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