Monday, 28 September 2015

अकेलेपन का अध्भुत आनंद

अकेलेपन का अध्भुत आनंद 


आईने में पचास बार जाके बाल बनाना हो या संगीत को सुन के उसके साथ गाना , मौन होकर कुछ ना बोलना हो या 
दूर दूर तक की आवाज़ को बहुत आसानी से सुन लेना ,अकेलेपन का जो असीम अनुभव है वो कभी भी भीड़ में या लोगो के 
बीच रहकर नहीं आ सकता ,
एकांत में जब आप भेठेंगे तो आपका ध्यान उन चीज़ो पे जायेगा जिन्हें आप दिनचर्या की वजह से नज़रअंदाज़ कर देते है ,
जैसे पार्क में खेलते छोटे बच्चो की मुस्कुराहट 
बूढ़े जोड़े को साथ में देख कर उनके सुकून को आप खुद जी पाएंगे ,
पेड़ , पोधे ,परिंदे ,सूरज , चाँद , सितारे , हवाए , प्रकर्ति से खूबसूरत इस दुनिया में कुछ नहीं और आप पाएंगे की जो आपके सामने था उसपर 
ही ध्यान नहीं दिया और जीवन हाथ से फिसल गया ,

कवितायेँ हो या लेख कुछ भी पड़ने के लिए आपको एक एकांत की ज़रूरत है वरना लेखक ने जिस ऊर्जा और कलेजा लगा के लिखा है उस तक
आप नहीं पहुँच पाएंगे ,

ज़िन्दगी में कईं बार ऐसा मौका आता है जब आपको दो में से एक रास्ता चुनना होता है , तब आप भले किसी बड़े से बड़े 
व्यक्ति से राय ले लें , लेकिन जवाब आपके दिल में पहले से मौजूद होता हे की आपको कौनसा रास्ता चुनना है , आपने कभी ध्यान कैसे नहीं 
दिया की वो जवाब कैसे आया , कहाँ से आया , अंदर से ? तो फिर सारे जवाब अंदर ही होंगे , बस कुछ पल एकांत में बस कुछ पल और आप उस शख्स से जो आप ही है मिल लेंगे जो आपके अंदर बरसो से मौजूद है ,

इश्क़ में बहुत बार आप अकेले हो सकते है , कभी कभी तो अपने प्रियतम के साथ भी , लेकिन मुद्दा ये हे की क्या आपका ध्यान उस अकेलेपन पे है ?
हम में से हज़ारो लोग हर दिन कुछ पल के लिए अकेले होते है लेकिन हम खुद को व्यस्त करने का सोचते है, उस समय अगर हम उस समय को जी ले 
भले पांच मिनट आप पाएंगे तेईस गंटे पचपन मिनट में जो ना हुआ , वो उस पांच मिनट में घट जायेगा ,

आध्यात्मिक हो या भौतिकवाद हर दिशा में अकेलापन वो मदद करता है जो ईश्वर करता है ,
आप बस एक बार अकेले हो कर देख लें , फिर आप वो महसूस करेंगे जो आप बार बार करना चाहेंगे , क्युकी तब आप 
उससे मिल पाएंगे जो हर पल आपके साथ है लेकिन आपका ध्यान नहीं उसपे , आपकी आत्मा , आपकी चेतना , आपका ईश्वर ।

- तनोज दाधीच 

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