Monday, 26 October 2015

पहला प्यार

पहला प्यार जो होता है उससे ज़्यादा सरल , मासूम , भोला कुछ नही होता,
आप भले उसके बाद सच्चे प्रेम में पड़ जाए , और सच्चे प्रेम से विवाह भी कर ले लेकिन पहला प्यार आपको आजीवन याद रहेगा ,
उसके साथ बीती हुई हर घटना , हर पल को आप भूलना चाहे तो भी नामुमकीन है,

उसके पीछे का कारण ये हे की अधिकतम तौर पे पहला प्यार 10 - 18  वर्ष की उम्र में होता है,
और ये वो उम्र होती है जब इंसान सबसे ज्यादा भोला होता है ,
उसे सही गलत की समझ नहीं होती इसलिए कोई एक चेहरा
जब उसे पसंद आ जाता है तो हर चेहरे में उस चेहरे की छवि ही नज़र आती है

पाठशाला में पड़ते हुए हो , किसी मामा चाचा की शादी में हो , या मोहल्ले के किसी चेहरे से,
ये पहला प्यार आपको जीवन जीने का एक अलग कारण दे देता है ,कुछ बच्चे तो शादी तक की सोच लेते है
यही इसका रस भी है , ना किसी की चिंता ना किसी का डर , बेख़ौफ़ मोहब्बत ,

तब इंसान प्यार सिर्फ आँखों से करता है, शरीर को छूने की आवशयकता  ही नहीं पड़ती , पड़ती भी है तो हाथो में हाथ ही काफी होता है ,

पुराने ज़माने की बात नहीं है , हर सदी में जब किसी को पहला प्यार होगा तो उसे वैसा ही महसूस होगा जैसे कुछ सालो पहले किसी और हो हुआ होगा ,

आज कल की जो नयी पीढ़ी है वो प्यार के मायने भूल गयी है , शरीर की काया से शुरू होने वाला प्रेम वही खत्म हो जाता है,
वहीँ पहला प्यार आत्मा से शुरू होता है जो घरवालो की डाट पे खत्म हो जाता है, लेकिन हमेशा के लिए आत्मा में बस जाता है,

उस प्यार में भोलापन होता है , साथ रहने की इच्छा होती है , बस उसे देखते रहने का मन होता है , हाथ में हाथ डाल कर चलने का मन होता है , पूरी ज़िन्दगी के बारे में संग संग सोचने का मन होता है ,
सबकी नज़रो से बच कर नज़र मिलाने का मन होता है ,

वो लोग बहुत खुशकिस्मत होते है जिनका विवाह उनके पहले प्यार से होता है ,



एक शेर से अंत करना चाहूँगा ,


इसके आगे 'तनोज' हर शख्स झुक जाता है ,
पहला प्यार कहाँ भूलने से , भूला जाता है.…

- तनोज दाधीच

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